NCERT-BIOLOGICAL CLASSIFICATION-The morphology of the mycelium, mode of spore formation and fruiting bodies form the basis for the division of the kingdom into various classes.

Assertion and Reason in Fungal Classification

Assertion and Reason in Fungal Classification

Assertion:

The morphology of the mycelium, mode of spore formation and fruiting bodies form the basis for the division of the kingdom Fungi into various classes.

Reason:

These characteristics reflect fundamental differences in the biology and life cycles of different fungal groups.

Evaluation:

The assertion is TRUE and the reason is CORRECT.

Here’s why:

Fungi exhibit diverse morphologies: Some have branched and septate (compartmentalized) hyphae, while others have non-septate hyphae. Spore formation varies: Some fungi produce asexual spores (conidia), while others produce sexual spores (ascospores or basidiospores) through different mechanisms. Fruiting bodies showcase diversity: Some fungi have well-defined fruiting bodies (mushrooms, truffles), while others lack them or have simpler structures.

These characteristics are not superficial but reflect key differences in how fungi grow, reproduce, and interact with their environment. By examining these features, scientists can classify fungi into distinct groups sharing similar characteristics and evolutionary history. Here are some examples:

  • Phycomycetes: Have non-septate hyphae and motile zoospores.
  • Ascomycetes: Have branched septate hyphae and produce sexual spores inside sacs called asci.
  • Basidiomycetes: Have septate hyphae and produce sexual spores on basidia, often forming mushroom-shaped fruiting bodies.
  • Deuteromycetes: Lack known sexual reproduction, but their asexual spores and other features help place them in different classes.

Therefore, the morphology of the mycelium, mode of spore formation, and fruiting bodies provide valuable insights into the diversity and evolution of fungi, justifying their use as a basis for classification.

कवक का वर्गीकरण

कवक का वर्गीकरण

दावा: मायसेलियम की आकृति विज्ञान, बीजाणु गठन की विधि और फलने वाले शरीर कवक साम्राज्य को विभिन्न वर्गों में विभाजित करने का आधार बनाते हैं।

कारण: ये विशेषताएँ विभिन्न कवक समूहों के जीव विज्ञान और जीवन चक्र में मूलभूत अंतर को दर्शाती हैं।

मूल्यांकन: दावा सत्य है और कारण सही है।

उसकी वजह यहाँ है:

  • कवक विविध आकारिकी प्रदर्शित करते हैं: कुछ में शाखित और सेप्टेट (विभाजित) हाइपहे होते हैं, जबकि अन्य में गैर-सेप्टेट हाइपहे होते हैं।
  • बीजाणु का गठन अलग-अलग होता है: कुछ कवक अलैंगिक बीजाणु (कोनिडिया) उत्पन्न करते हैं, जबकि अन्य विभिन्न तंत्रों के माध्यम से यौन बीजाणु (एस्कोस्पोर या बेसिडियोस्पोर) उत्पन्न करते हैं।
  • फलने वाले शरीर विविधता दर्शाते हैं: कुछ कवकों में अच्छी तरह से परिभाषित फलने वाले शरीर (मशरूम, ट्रफ़ल्स) होते हैं, जबकि अन्य में उनकी कमी होती है या उनकी संरचना सरल होती है।

इन विशेषताओं की जांच करके, वैज्ञानिक समान विशेषताओं और विकासवादी इतिहास को साझा करने वाले कवक को अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत कर सकते हैं।

यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं:

  • फ़ाइकोमाइसिटीज़: इसमें गैर-सेप्टेट हाइफ़े और गतिशील ज़ोस्पोर होते हैं।
  • एस्कोमाइसिटीस: शाखाओं वाले सेप्टेट हाइपहे होते हैं और एएससी नामक थैली के अंदर यौन बीजाणु पैदा करते हैं।
  • बेसिडिओमाइसेट्स: सेप्टेट हाइपहे होते हैं और बेसिडिया पर यौन बीजाणु पैदा करते हैं, जो अक्सर मशरूम के आकार के फलने वाले शरीर बनाते हैं।
  • ड्यूटेरोमाइसेट्स: यौन प्रजनन की कमी ज्ञात है, लेकिन उनके अलैंगिक बीजाणु और अन्य विशेषताएं उन्हें विभिन्न वर्गों में रखने में मदद करती हैं।

इसलिए, मायसेलियम की आकृति विज्ञान, बीजाणु गठन की विधि, और फलने वाले शरीर कवक की विविधता और विकास में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं, जो वर्गीकरण के आधार के रूप में उनके उपयोग को उचित ठहराते हैं।

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